अंजलि यादव,
लोकल न्यूज ऑफ इंडिया,
नई दिल्ली: देश कोरोना के चलते जहां पिछले साल से शिक्षा व्यवस्था चरमरा गई है. वहीं उच्च शिक्षण संस्थानों में स्थाई नेतृत्व की कमी ने और भी मुसीबतें पैदा कर दी हैं. देश की की केंद्रीय सहित कई राज्य यूनिवर्सिटीज में कुलपति का स्थाई पद खाली पड़ा है. वहीं कई कॉलेज प्रिंसिपल और फैकल्टी की कमी से जूझ रहे हैं. स्थाई कुलपति के अभाव में कार्यवाहक कुलपति के सहारे चल रही इन यूनिवर्सिटीज में दिल्ली की जानी मानी जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी सहित दिल्ली विश्वविद्यालय और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय भी शामिल है. गौरतलब है कि साल 2020 में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की ओर से बीएचयू सहित कई यूनिवर्सिटीज में कुलपति के पदों को भरने की मांग की गई थी.
इसके बाद अब हाल ही में कई यूनिवर्सिटीज के कुलपति के पदों के लिए विज्ञापन भी निकाले गए हैं हालांकि अभी तक 19 केंद्रीय यूनिवर्सिटीज और दर्जनों राज्य यूनिवर्सिटीज पदों पर भर्ती नहीं की गई है. इस बारे में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 बनाने वाली सेंट्रल कमेटी के सदस्य राम शंकर कुरील ने न्यूज 18 हिंदी से बातचीत में बताया कि कई विश्वविद्यालयों में स्थाई कुलपति के पद खाली हैं. इसके लिए विज्ञापन की प्रक्रिया भी शुरू की गई थी हालांकि अभी तक
पूरी नहीं हुई है. देशभर की उच्च शिक्षा के लिए यह एक बड़ी समस्या है, जिस पर ध्यान दिया जाना चाहिए.
कई जगह नहीं फैकल्टी और स्टाफ
डा. कुरील कहते हैं कि कई जगहों पर भर्ती प्रक्रिया चल रही है तो कई विवि की फाइलें मंत्रालय में पेंडिंग हैं. इनमें जेएनयू, डीयू और बीएचयू जैसी बड़ी विवि भी हैं. इनके अलावा राज्य की यूनिवर्सिटीज में भी यही समस्या दिखाई दे रही है. कई जगहों पर स्टाफ ही नहीं है. कई विभागों में फैकल्टी नहीं है. कहीं कॉलेज में प्रिंसिपल नहीं हैं. कई राज्यों में फाइनेंशियल सिस्टम ठीक नहीं है तो कहीं भर्ती की अनुमति ही नहीं दी जा रही है. ये स्थिति कमोबेश सभी जगह है.
वे कहते हैं कि इस पर न केवल फोकस किया जाना चाहिए बल्कि विमर्श होने के साथ ही जल्द से जल्द व्यवस्था की जानी चाहिए. कोरोना के चलते पहले ही शिक्षा के क्षेत्र में बाधाएं पैदा हो गई हैं. केंद्रीय विश्वविद्यालय जम्मू, केंद्रीय विश्वविद्यालय हिमाचल, केंद्रीय विश्वविद्यालय दक्षिण बिहार, केंद्रीय विश्वविद्यालय हरियाणा, हरिसिंह गौर केंद्रीय विश्वविद्यालय, झारखंड केंद्रीय विश्वविद्यालय में पद के लिए प्रक्रिया शुरू हुए छह महीने बीत चुके हैं लेकिन अभी तक नियुक्ति नहीं हुई है. ऐसे में केंद्र सरकार और राज्य सरकारों को इस दिशा में काम करना चाहिए.
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